ई-पुस्तकें >> खामोश नियति खामोश नियतिरोहित वर्मा
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कविता संग्रह
दो शब्द
ज़िंदगी में कई सपने बुनते हैं, बुने हुए सपनों की एक ढेर भारी टोकरी को अपनी जिंदगी की एक कतार में लंबे इंतजार के बाद साकार होते हैं, जिंदगी किस्मत की चौखट पर दस्तक दे दे कर कभी मायूस तो कभी खुश नज़र आती है, बस जिंदगी की यही अदा कभी दिलकश तो कभी ज़िल्लत भरी होती है, तमाम लोगों से मिलकर अपनी नई हसरतें, नये आयामों को स्थापित करना, तो कभी खामोशी को इतनी गहराई से महसूस करना कि लगने लगे समन्दर की गहराई अब भी कम है। सिद्दत, शुमार, वफ़ा, हसरत, जिंदगी के कई हजार नाम हैं, जो अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीते हैं, "यकीन" खुद में यकीन करना।
इस दौरान हकीकत की कई तस्वीरें बनती बिगड़ती नजर आती हैं, ऐसे अजीब सपने जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते, अजीब ढंग से जिदंगी का सामना करना, महसूस करना, कभी इम्तिहान तो कभी नाप-माप करना, पेशिगी तो कभी अजीब सी मजबूरियां, कुछ याद नहीं रहता जिंदगी हमें कहाँ और कब मिली थी।
मैं एक राह हूँ,
तेरी हमसफ़र, हमनवा हूँ,
तेरी चीख- पुकार हूँ,
हकीकत हूँ, तेरा यकीन हूँ,
मैं तेरी आत्मा की आवाज हूँ ।
- रोहित कुमार वर्मा
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